पद क्या होते हैं?

पद क्या होते हैं? -> ‘शब्द’ भाषा की अर्थवान स्वतंत्र इकाई है, तो वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद’ है। वाक्य में आए ‘पदों’ को विस्तृत व्याकरणिक परिचय प्रस्तुत करना ही पद-परिचय कहलाता है।
पद-परिचय देने के लिए शब्दों के भेद, उपभेद. लिंग, वचन. कारक आदि का भी परिचय देना होता है। पद-परिचय मे निम्नलिखित बातें बताई जानी चाहिए-

  1. संज्ञा-संज्ञा के तीनों भेद (जातिवाचक, व्यक्तिवाचक, भाववाचक), लिंग, वाचन कारक तथा क्रिया के साथ उसका संबंध (यदि हो तो)।
  2. सर्वनाम-सर्वनाम के भेद (पुरुषवाचक, निश्चयवाचक, निश्चयवाचक, संबंधवाचक, प्रश्नवाचक) पुरुष, लिंग, वचन, कारक, तथा क्रिया के साथ उसका संबंध।
  3. विशेषण-विशेषण के भेद (गुणवाचक, परिमाणवाचक, संख्यावाचक, सार्वनामिक) , लिंग, वचन, विशेष्य (जिसकी विशेषता बता रहा है।)
  4. क्रिया-भेद-(अकर्मक, सकर्मक, प्रेरणार्थक, समस्त, संयुक्त, नामिक, पूर्वकालिक, मिश्र आदि), लिंग, वचन, पुरुष, धातु, काल, वाच्य प्रयोग, कर्ता व कर्म का संकेत।
  5. क्रियाविशेषण-भेद (रीतिवाचक, स्थानवाचक, कालवाचक, परिमाणवाचक) तथा उस क्रिया का उल्लेख जिसकी विशेषता बता रहा है।
  6. समुच्चबोधक-भेद (समानाधिकरण व्यधिकरण) जिन शब्दों, पदों वाक्यों में मिला रहा है उनका उल्लेख।
  7. संबंधबोधक-भेद, जिसमें संबंध है उन संज्ञा/सर्वनामों का निर्देश।
  8. विस्मयादिबोधक-भेद तथा कौन-सा भाव प्रकट कर रहा है।

हमने संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया शब्दों के विषय में अध्ययन किया है ये सभी शब्द ‘विकारी’ कहे जाते हैं, क्योंकि इनके वाक्य में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न रूप मिलते हैं।

हिंदी व्याकरण
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‘अव्यय’ शब्द का अर्थ ही है कि जिस शब्द का कुछ भी व्यय न होता हो। अतः अव्यय वे शब्द हैं जिनके रूप में लिंग वचन-पुरुष-काल आदि व्याकरणिक कोटियों के प्रभाव से कोई परिवर्तन नहीं होता। आज, कल, तेज, धीरे, अरे, ओह किन्तु, पर, ताकि आदि अव्यय शब्दों के उदाहरण हैं।

अव्यय : भेद-प्रभेद-अव्यय शब्दों के निम्नलिखित भेद हैं-
1. क्रियाविशेषण, 2. संबंधबोधक, 3. समुच्चबोधक 4. विस्मयादिबोधक , 5. निपात।

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