छोड़ दिया मैनें लोगो की कदर करना
किसी के लिये अपनी आखों में आसूँ
भरना
जिसकी जितनी कदर करोगे वो उतना ही
दर्द देगा
ओर हर बार ये दर्द कोई हमदर्द ही देगा
अब मैं अच्छाई छोड़कर बुराई मे
सन रहा हूं
मैं भी बेपरवाह की बस्ती का मुसाफिर बन रहा हूँ
क्योंकि…
मेरे इस रूप की वजह मेरे कोई सपने नही है
इस पत्थर दिल इंसान के पीछे
मेरे कुछ अपने ही हैं I……..