कुछ दर्द अपनों ने दिये
तो कुछ दर्द सपनो ने दिये
हाँ, दवा मिल गयी है
जख्म भरने की कोशिश कर रहा हूँ।
बस कोई अपना ना मिले
अब इसी बात से डर रहा हूँ।
तुझसे बात करने को तरस रहा हूँ
पर मेरी अपनी ही कसमों ने
बाँध रखा है।
जानता हूँ तेरे बिना जी नहीं सकता
पर तेरी यादों के सहारे रह लूँगा
कोई नहीं तुझे खोने का दर्द ही
तो होगा
आसुओं के सहारे सह लूँगा।
तेरी इस दगा को कभी ना
भुला पाएंगें
इन लाचार नैनो को कभी ना सुला पाएंगें
क्युकिं…
तुझे इनका कभी ना खत्म होने वाला सपना
बनाया था
पूरी दुनिया परायी कर बस तुझे ही तो अपना बनाया था
रावन को मारने चले हैं लोग
उसका ही किरदार लेके,
खुद की हस्ती को भूल गए हैं
राम का दीदार लेके,
रावन पापी था तो भक्त भी था
सबसे बड़ा महाकाल का
आजकल तो ना रावन बचा और
ना कोई राम रहा
जो खो चुके है रावन की हस्ती में
आज उसी को मारने चले है
रामकी बस्ती में।
जानते वो भी है कि वक्त ना होते
हुए भी
उनकी ही परवाह करते है हम
उनसे ऐतबार करतें वक़्त भूल जाते है
हम अपने गम
आज हाल नही पूछा, तो इसे
हमारी अकड़ बताने लग गये
लगता है जिंदगी मे बदलाव आया है उनकी
तभी आज हम उन्हें सताने लग गये।