सच्चाई


सुन लो मेरे भाइयो,
तुम को दिल की बात बताता हूँ |
कोई मुझे क्या बोलेगा,
इससे बिल्कुल न घबराता हूँ |

रोज चाय की टपरी पर,
तू उसको चाय पिलाता है |
पर शायद तू भूल रहा,
कि तुमको कौन खिलाता है |

उसकी पसंद की हर वस्तु ,
तू उसको लाकर देता है ,
और जहाँ कहा जाए ,
तू वही पर जाकर देता है |

पूछ अपने माँ -बाप से ,
उन्होंने कैसे तुझको पाला है ,
तू छोटा था तुझे बड़ा किया ,
और कैसे तुझे संभाला है |

पिता सुबह मेहनत करके,
दो पैसे रोज कमाता है ,
अपना पेट काटकर तुझको
अच्छी जगह पढ़ाता है |

और माँ का भी क्या कहना ,
नौ महीने तुझको झेला है ,
और तू दोस्तों से कह रहा ,
तू गर्ल फ्रेंड के बिना अकेला है |

( सुमित तिगुनायक )
(बी. ए. हिंदी (विशेष )
P.G.D.A.V. COLLAGE ( EVE. )

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